DesiPapa Indian Sex Stories

चूत में खून, दिल में सुकून

  • desipapa
  • September 20, 2015

हैलो, मेरी सेक्स स्टोरी पढ़ने वाली, सभी लड़कियों, आंटी और भाभियों को सुमित पहलवान का प्यार भरा नमस्कार..

मेरा नाम सुमित है, उम्र 20 और जाती से, शरीर से, क्रम से पहलवान हूँ..

आप लोगों ने मेरी कहानी – “कुँवारी कली” 1 से 3 बहुत पसंद की इस के लिए आप लोगों का बहुत बहुत धन्यवाद..

कामिनी जी ने मुझे, बहुत से मेल फॉरवर्ड किए..

ख़ासकर शादीशुदा औरतों के तो बहुत से मेल आए..

खैर,

पिछले हफ्ते, मुझे नागपुर से एक कॉल आया..

मैं पुणे से नागपुर पहुँचा..

मस्त कहानियाँ हैं, मेरी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर !!! !!

वो मुझे स्टेशन पर लेने, खुद ही आई थी..

फोन पर उसने, मुझे अपनी कार का नंबर बताया था..

मैंने स्टेशन के बाहर पार्किंग के पास पहुँच कर, उसकी कार को खोज़ लिया पर मैं अभी उसके सामने नहीं गया..

कार में एक 30 साल की खूबसूरत, आँखों पर चश्मे, बॉय कट बाल, गुलाबी रंग की साड़ी पहने हुए, एक स्मार्ट और सेक्सी शादीशुदा लेडी बैठी हुई थी..

कुछ देर, मैं दूर से उसे देखता रहा..

वो तत्पर निगाहों से, भीड़ में मुझे खोज रही थी..

मैंने अपनी पहचान उसे बता दी थी की मैं नीली जीन्स और सफेद शर्ट पहने हुए हूँ..

करीब 5 मिनट बाद, जब मैं उसे नहीं दिखा तो उसने मुझे मोबाइल पर कॉल किया..

मैं पास में खड़ा, सब देख रहा था..

तभी, मेरे मोबाइल की बेल बजी..

फिर मैंने उसकी कार के पास जाकर, मोबाइल चालू किया..

मेरे हैलो बोलते ही वो घबराहट भरे लहजे में बोली – सुमित, आप कहाँ हो.. .. मैं कब से आपका इंतज़ार कर रही हूँ.. ..

मैं मुस्कुराया और उसके सामने निकल कर, खड़ा हो गया..

मैंने बोला – मैं, यहाँ हूँ.. ..

हम दोनों, अपना मोबाइल अपने कान पर लगाए हुए थे..

उसने मुझे देखा और बस कुछ पल, मुझे देखती रही, चुप चाप..

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मैंने फिर कहा – हैलो.. .. क्या हुआ.. ..

वो कुछ हड़बड़ाई और बोली – नहीं नहीं, कुछ नहीं.. .. अंदर आ जाओ.. ..

और, मैं कार में बैठ गया..

वो मुझे देखे जा रही थी..

मैंने कहा – चलें.. ..

वो बोली – हाँ हाँ.. .. चलो.. .. और, हम चल पड़े..

रास्ते में मैंने पूछा – हम कहाँ चल रहे हैं.. ..

वो बोली – मेरे घर में.. ..

कुछ देर बाद, कार एक कॉलोनी के एक आलीशान से दिखने वाले घर के अंदर दाखिल हो गई..

ना जाने ये संयोग था या ज़्यादातर बड़े अमीर लोग ही, जिगोलो की सेवाएँ लेते हैं..

फिर, हम कार से उतरे..

उसने चाभी से दरवाज़ा खोला और हम अंदर आ गये..

अंदर का हाल देख कर, मैं तो चकरा सा गया..

बिल्कुल फिल्मों की तरह का घर था, वो..

मैं सोफे पर जा कर बैठ गया..

उसने कहा – आप खाना खा लीजिए.. ..

मैंने कहा – अरे नहीं, नहीं.. .. अभी नहीं.. .. मुझे भूख नहीं है.. ..

फिर उसने टीवी चालू किया और मेरे पास खड़ी खड़ी, टीवी देखने लगी..

वो कुछ पहल नहीं कर रही थी या कहिए, वो समझ ही नहीं पा रही थी की करना क्या है..

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एक जिगोलो होने के नाते, मैं समझ गया की ये इसका पहला अनुभव है, किसी पराए मर्द के साथ..

वो साड़ी पहने हुए खड़ी थी और साड़ी में उसके नितंब (चूतड़) के शेप ग़ज़ब ढा रहे थे..

उसके नितंब देख कर, मैं पगलाया जा रहा था..

मैंने ही पहल करने की सोची और धीरे से, उसका हाथ पकड़ा..

उसका हाथ पकड़ते ही, उसने सिर उठा कर और आँखें बंद करके अपनी गर्दन मेरी तरफ घुमाई..

मेरे दिल की तो धड़कन बढ़ गई..

अब वो मेरी आँखों में आँखें डाले, बड़ी लाचार नज़रों से मुझे देखने लगी..

कुछ पल, हम एक दूसरे को यून्हीं देखते रहे..

अचानक, वो पलटी और मुझसे लिपट गई..

अब वो घुटनों के बल थी और मैं सोफे पर..

कुछ देर, वो मुझसे लिपटी रही..

मैं उसकी धड़कन और धौकनी की तरह चलती, उसकी साँसें महसूस कर सकता था..

वो मुझे कस कर, अपनी बाहों में लिए थी..

थोड़ी देर बाद, मैंने उस के कंधे पकड़ कर उसे उठाया तो देखा की उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे..

ये देख कर, मैं हैरान हो गया..

मैंने पूछा – क्या बात है, मेडम.. .. आप रो क्यूँ रही हैं.. ..

मैंने उसका चेहरा, अपने दोनों हाथों में ले लिया और उसके आँसू पोछे..

वो कुछ देर तो शांत रही, फिर उठ कर मेरा पास वाले सोफे पर बैठ कर बोली… …

कहानी जारी रहेगी.. ..

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