उसे बिल्कुल सहन तो नहीं हो रहा था मगर वो तकलीफ़ “मीठी” तकलीफ़ थी.
क्या समझे.
तो उसे तकलीफ़ तो हो रही थी पर स्वर्ग का मज़ा भी आ रहा था.
अब उसने अपने दोनों हाथों से मेरे पैंट के बटन खोले और पैंट नीचे खिसखा दी.
मैं उससे अलग हुआ और तेज़ी से अपनी पैंट और चड्डी निकाल कर, अलग कर दी.
चड्डी निकालते ही, मेरा 7 इंच लंबा लण्ड बाहर लहराने लगा.
मेरा लण्ड देख कर, वो उठ कर सोफे पर घुटने मोड़ कर बैठ गई और लपक कर मेरा लण्ड अपने हाथ में ले लिया.
वो कुछ देर, मेरे लण्ड को प्यार से हिलाती रही.
फिर, धीरे धीरे अपना मुंह मेरे लण्ड के पास लाई और अपने होंठ लण्ड पर फिराने लगी.
फिर लपक कर, पूरा लण्ड अपने मुंह मे ले लिया.
वो बेतहाशा, मेरा लण्ड चूस रही थी.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
करीब 10 मिनट तक लण्ड चूसने के बाद, उसने मेरा लण्ड आपने मुंह से निकाला और मेरा लण्ड हाथ मे पकड़े हुए, अपना हाथ नीचे ले गई और मेरा लण्ड अपनी चूत से रगड़ने लगी.
फिर वो बोली – इसे जल्दी से अंदर डालो… इसके लिए, मैं कितने दिनों से बैचैन हूँ… अब सहन नहीं होता… प्लीज़, जल्दी अंदर डालो…
मैंने कहा – देखो, थोड़ा दर्द होगा… तुम सहन कर पाउंगी…
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वो बोली – तुम, मेरी चिंता मत करो… मेरी लण्ड की तड़फ़ से ज़्यादा कोई दर्द नहीं है… प्लीज, जल्दी डाल दो ना…
मैं थोडा सा मुस्कुराया.
फिर, मेरे लण्ड ने अपना रास्ता तलाशा और दरवाजे पर आकर, एक ज़ोर दार धक्का दिया.
वो चीख पड़ी.
उसकी चीख, पूरे हाल में गूँज गई.
मैं रुक गया.
अभी मेरा सिर्फ, 3 इंच लण्ड ही अंदर गया था.
मुझे मालूम था की मुझे आराम आराम से करना है.
मैंने महसूस किया, उसकी चूत से खून निकल रहा था पर मैंने उसे नहीं बताया.
मैंने प्यार से उसे किस किया और उसके सामान्य होने का ऐसे ही इंतज़ार करने लगा.
जब उसके चेहरे पर कुछ शांति दिखी, मैंने उसे चूमते हुए धीरे धीरे धक्के मारना शुरू किया.
अब मेरे “लण्ड बहादुर” ने चूत में और अंदर जाने का रास्ता बना लिया था.
ये “कुँवारी चूत” पहले भी की बहुत बार चख चुका है.
18 साल की लड़की हो या 50+ की, कोई भी हो मेरा लण्ड बखूबी अपना काम जानता है.
अब लगभग, पूरा लण्ड उसकी चूत के अंदर घुस चुका था.
मैं धक्के मार रहा था.
अब उसे भी मज़ा आने लगा.
वो भी नीचे से गाण्ड, ऊपर उछाल रही थी.
वो “बाबरी” की तरह, मचल रही थी.
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गाण्ड को ऊपर उछाल कर, अपनी गाण्ड को घुमा भी रही थी.
मैं समझ गया की वो मेरे लण्ड का एहसास, चूत की सभी दीवारो पर कस कर के मज़े ले रही है.
बिल्कुल, “भूखी शेरनी” है वो भी.
ऐसी कुँवारी भूखी लड़कियाँ, बहुत कम मिलती हैं.
मुझे भी पूरा आनद आ रहा था.
अब मैं ज़ोर ज़ोर से, धक्के मारने लगा.
वो भी आँखें बंद किए हुए, पूरा साथ दे रही थी.
करीब 15 – 20 मिनट, चुदाई करने के बाद वो बोली – मुझे ऊपर आना है…
मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ कर, सोफे पर पलटी मारी.
अब वो, मेरे ऊपर थी.
कुछ देर वो रुकी और चूत के अंदर, मेरे लण्ड को अपनी गाण्ड हिलाकर फ्री किया और वो शुरू हो गई.
अब वो “पागलों” की तरह, आगे पीछे हो रही थी.
उसके मुंह से “सी सी” की आवाज़ तेज होती गई और उसने अपनी स्पीड बड़ा दी और मुंह से अजीब अजीब आवाज़ें निकालने लगी.
सी सी हुम्म आ अया अहह हूंम्म… तेज़ी से…
आगे पीछे, होते हुए शायद अब वो झड़ने वाली थी और ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे होते हुए – आहह आह सी सी आ आ आ आ आ… और, वो इतनी ज़ोर से चिल्लाई की मैं भी यहाँ वहाँ देखने लगा.
उसकी “जबरदस्त चुदाई” हुई और उसकी सारी भड़ास उसकी चीख से निकल गई.
चुदाई पूरे दिल से हुई और कोई कसर, बाकी नहीं रही.
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अब वो कुछ शांत पड़ गई और उसके होंठों पर हल्की मुस्कान आ गई.
वो ऐसे ही मेरा लण्ड उसकी चूत में डाले हुए, मेरे सीने पर मादक अंदाज़ से मुस्कुराते हुए चिपक गई.
उसके चेहरे पर वो संतुष्टि नज़र आ रही थी, जैसे उसे जिंदगी की सारी खुशियाँ मिल गई हो.
मैं प्यार से उसके सर पर हाथ फिराने लगा पर अभी मेरा लण्ड बहादुर सीना ताने खड़ा हुआ था.
उसकी प्यास अभी बुझी नहीं थी पर मैं पहले अपने कस्टमर की संतुष्टि देखता हूँ.
वो बहुत खुश थी.
कुछ देर बाद, उसने घड़ी की तरफ देखा.
4 बज रहे थे.
वो बोली, 6 बज़े मेरे मम्मी पापा आ जाएँगें.
मैं समझ गया की मुझे जल्दी निकलना होगा.
मैंने उसे अपनी बाहों मे पकड़ कर, फिर पलटी मारी.
मेरा लण्ड, अभी भी उसकी चूत में था.
मैंने उसे फिर चूमना शुरू कर दिया और धक्का मारने लगा.
वो फिर तैयार हो गई, उसे भी मज़ा आने लगा.
मैंने उसे करीब 10 मिनट.
फिर चोदा और अपना वीर्य, उसकी चूत में ना करके बाहर कर दिया.
उसकी चूत के ऊपर और जांघों पर, मेरा ढेर सारा वीर्य गिर गया.
मैंने उसे देखा तो वो मुस्कुराने लगी.
बोली – कोई बात नहीं… मैं साफ़ कर लूँगी… कुछ देर, हम दोनों बाहों में बाहें डाले सोते रही…
फिर हम उठे और बाथरूम में जाकर, साफ़ करके कपड़े पहने वो बहुत खुश थी.
वो बोली की सच, सुमित जितना मज़ा तुमने मुझे दिया शायद जिंदगी में और कोई कभी नहीं दे सकेगा…
मैं तुम्हें कभी नहीं भूल पाऊँगी.
मैं बोला की याद रखना हो तो इस चुदाई को याद रखना पर मुझे और मेरे मोबाइल नंबर को याद नहीं रखना.
हमारा बस यहीं तक संभंध है क्यूंकी तुम्हारी सेफ्टी मेरे लिए ज़रूरी है.
हम अपने ग्राहक को परेशान नहीं होने देना चाहते, जिंदगी में.
वो मुस्कुराइ और मेरा माथा चूमा और उसने फिर मुझे एक लिफ़ाफ़ा दिया, जिसमें रुपए थे.
5:30, बज रहे थे.
मैंने भी उसे किस किया और उधर से निकल गया.
वो दरवाज़े पर खड़ी मुझे जाते देखती रही पर मैंने उसे मूड कर नहीं देखा.
तो दोस्तों, कैसी लगी मेरी ये कहानी.